एक तरंग लिए कोई नई
– नई से उमंग लिए
उठो जागो देखो कोई सायद
उजला – उजला सा है ॥१॥
जेसे लंबी सर्द पतझड़
के बाद शान-ए बहारे बसंत
घने-घने अंधेरों मे
टिम टिमाती कोई किरण सा है ॥२॥
२००साल की गुलामी
के बाद सन 47 की आजादी
एक लंबी काली रात
के बाद उजले-उजले दिन सा है ॥३॥
भयंकर आकाल के बाद
कोई बारिश जेसे आई हो
उठो, जागो,
चलो देखो भाई देखो सामने तुम्हारे कोई है ॥४॥
एक नया पेगाम लिए
इस जीवन का कोई अंजाम लिए
हमे कुछ कर के
दिखाना है फिर से अब एक हो जाना है ॥५॥
ना बहाना ना फसाना कोई
भी दिल्लगी नहीं चलेगी आज
बस एक–एक कदम पल
दर- पल दर हर पल साथ बढ़ाना है ॥६॥
फिर वही जज़्बात
१८५७ की क्रांति के- अंग्रेज़ो भारत छोड़ो
नेताजी का वो नारा “तुम
मुझे खून दो मे तुम्हें आजादी दूंगा” ॥७॥
लाल-बाल-पाल की ललकार – शहीद भगत सिंह की एक दहाड़
चन्द्रशेखर आजाद की
हुंकार जिससे हिली थी अंग्रेजी सरकार ॥७॥
भयंकर दामिनी
प्रकरण के बाद जेसे उतर आए तुम सड़को पे
अन्ना आंदोलन मे आए
रामलीला मेदान भ्रष्टाचार के खिलाफ ॥८॥
मुझे लगता है की
कही न कही अभी भी बाकी है तुम मे गांधी
अहिंसा से जिसने
चलायी गांधी जेसे ही एक अन्ना की आँधी ॥९॥
जाग भाई – जाग उठ
अब तो उठ जा तेरे जागने से कुछ होगा
कही गांधी , कही सुभाष , कही आजाद-भगत
बनकर निकलेगा ॥१०॥
मे बड़ा आशावित हूँ तुम
से, बड़े-बड़े अरमान है मेने पाले यहाँ तुम से
अब तो जागेगा फिर
से रावण भागेगा फिर मिलाये तू गा कदम- कदम से ॥११॥
मन मे फिर वही ताजा
उमंग लिए – फिर एक नहीं तरंग लिए
उठो जागो देखो कोई
सायद उजला – उजला सा है
घने-घने अंधेरों मे
टिम टिमाती कोई किरण सा है
लम्बे लम्बे फ़ासलों
मे मंज़िले हाथो मे लिए है ॥१२॥