Tuesday, December 4, 2012

रूपली

कमावण लागया रूपली जद हुया जवान
कागद रो जग जीत गे हू या घणा परेशान

जग भुल्या घर भुलग्या , भुलग्या गाँव समाज
गाँव री बेठक भूल्या , भुलग्या खेत खलिहान 

बचपन भुलया, बड़पण भुलया, भुलया गळी -गुवाड़
बा बाड़ा री बाड़ कुदणी, पिंपळ री झुरणी बो संगळया रो साथ

कद याद ना आव बडीया बापड़ी , घणा दिना सूं ताऊ
काको भूल्या दादों भूल्या , बोळा दिना सूं भूल्या माऊ

इण कागद री माया घणेरी यो कागद बड़ो बलवान
कागद रो जग जीत गे हू या घणा परेशान

गाँव रो खेल भूल्या, बचपण मेल रो भूल्या
गायां खूँटो भूल्या , पिंपळ रो गटो भूल्या

राताँ री बाताँ बिसराई , मांग्योड़ी छा बिसराई
धन धन में भाजताँ बाजरी गी ठंडी रोटी बिसराई

कभी-कभी


चंद लम्हो से मिनट , मिनट से घंटे
घंटो से तर-बतर पल-पल दिन  जया करते है

कभी-कभी हम किसी एक को याद रखने मे
किसी ओर को भी तो भूल जया करते है

गर्मी सर्दी वर्षा बसंत बहार
हर साल ये जरूर आया करते है

मोसम तो आते जाते रहते जानी
लेकिन सायद ही कभी भूले याद आया करते है

ये तो जालिम जमाने का दोष है भाई
हम तो  बहुत याद करने की कोशिश करते

कभी-कभी तो पास आ कर ठहर जाया करते है
क्या करे हर बार ये कमबख्त काम आ जया करते है

बहाने नहीं है ये दोस्त मेरे सच है
जिंदगी के सफर में कभी-क भूले बिसरे भी याद आया करते है

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