आंशु भर आते है


आंशु भर आते है आँखों में हर एक हशी के बाद !
गम बन गया नशीब मेरा हर ख़ुशी के बाद !!
निकला था कारवा मोहब्बत की राह में !
हर मोर पे नफरत खरी थी हर गली के बाद !!
सोचा था प्यार का मैं संजोउगा गुलशन !
हर फूल जल गया मेरा बनकर कलि के बाद !!
चाहत की बेबसी का ये कैसा हैं इम्तिहान !
दिल ने ना सकू पाया कभी दिल लगाने के बाद !!
अब राख़ ही समेटता हूँ आशियाने की !
खुद ही जला दी थी जिसे आजादी के बाद !!
सुनते है बाद मरने के मिलता है सब सिला !
देखेगे क्या मिलेगा मुझे जिन्दगी के बाद !!

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