Saturday, July 28, 2012

रात भर...


करके वादा कोई सो गया चैन से 
करवटें बदलते रहे हम रात भर !!१!!
हसरतें दिल में घुट-घुट के मरती रही 
और जनाज़े निकलते रहे रात भर !!२!!
रात भर चांदनी से लिपटे रहे वो 
हम अपने हाथ मलते रहे रात भर !!३!!
आबरू क्या बचाते वह गुलशन कि 
खुद कलियाँ मसलते रहे रात भर !!४!!
हमको पीने को एक कतरा भी न मिला 
और दौर पर दौर चलते रहे रात भर !!५!!
रौशनी हमें दे ना पाए यह चिराग अब 
यूँ तो कहने को वो जलते रहे रात भर !!६!!
छत में लेट टटोले हमने आसमान 
अश्क इन आँखों से ढलते रहे रात भर !!७!!
.........नीलकमल वैष्णव "अनिश".........

6 comments:

अरुन अनन्त said...

वाह क्या बात है , अति सुन्दर
(अरुन शर्मा = www.arunsblog.in)

प्रेम सरोवर said...

बहुत ही प्रशंसनीय कविता। मेरे ब्लॉग " प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है

प्रेम सरोवर said...

बहुत ही प्रशंसनीय कविता। मेरे ब्लॉग " प्रेम सरोवर" के नवीनतम पोस्ट पर आपका स्वागत है

Anupama Tripathi said...

sundar jazbaat ...
shubhkamnayen ..!!

मुकेश कुमार सिन्हा said...

khubsurat...

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

.

करके वादा कोई सो गया चैन से
करवटें बदलते रहे हम रात भर

दिन भर काम करके थक गए होंगे , हिसाब से आपको भी सो जाना चाहिए था…
:)
लेकिन तब हम इस रचना से महरूम रह जाते …बंधुवर नीलकमल वैष्णव "अनिश" जी

आधी रात के वक़्त "रात भर..." पढ़ कर आनंद आ गया …

क्योंकि "रात भर" जागने का इरादा नहीं इसलिए
शुभरात्रि !
दीवाली की अग्रिम शुभकामनाओं सहित…
राजेन्द्र स्वर्णकार

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