मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
एक डोली और एक अर्थी आपस में टकरा गए इन्हें देख लोग घबरा गये ऊपर से आवाज़ आई ये कैसी बिदाई है लोगो ने कहा महबूब की डोली देखने यार की अर्थी आई है
Tuesday, December 28, 2010
मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए
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5 comments:
"मैं तो ग़ज़ल सुना के अकेला खड़ा रहा
सब अपने अपने चाहने वालों में खो गए"
बहुत खूब - चंद शब्दों के माध्यम से बड़ी बात
"भावना की नदी में आज तक बहते रहे "
बहुत खूब लिखा है |बधाई |नव वर्ष के अवसर पर
हार्दिक शुभ कामनाएं
आशा
main to gazal sunaa ke akela... ye she'r to marhoom shayeer janaab krishn bihari noor ka hai... aur yahi chahunga ki agar aap is tarah ke kisi bhi she'r ka zikra karen to uske niche uske asl shayeer ka naam zaroor likhen...
arsh
krishn bihari noor ji ki bahut hi umda panktiyon ko apne blog par likha aap ne....shukriya..un ki yaaden taza ho gaee ye post pad kar,pahli baar aap ke blog par aana hua,achcha lga yhan aakr...
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