Thursday, November 25, 2010

उजड़े हुए चमन

उजड़े हुए चमन का, मैं तो बाशिंदा हूँ
कोई साथ है तो लगता है, मैं भी अभी ज़िंदा हूँ
ज़िंदगी अब लगती है, बस इक सूनापन
जब से बिछडे हुए हैं, तुमसे हम
जान अब तो तेरे लिए ही, बस मैं ज़िंदा हूँ
ज़िंदगी के सफ़र में, तेरे साथ हैं हम
मैंने सोचा है बस, बस तेरे हैं हम
होके तुमसे जुदा, मैं कैसे कहूँ ज़िंदा हूँ
यार अब तो तेरे ही, सपने देखते हैं हम
ख़्वाब में कहते हो मुझसे, कि तेरे हैं हम
कुछ मजबूरी है सनम, जो मैं शर्मिंदा हूँ

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