Thursday, November 25, 2010

गम कुछ कम नहीं’

गम कुछ कम नहीं हुए तुझसे मिलने के बाद मगर
दिल में इक हौंसला सा है कि कोई मेरे साथ तो है
कांटे मेरी राहों के हरसूरत मेरे हिस्से में ही आयेंगे
गर इक गुल है मेरे साथ तो जरूर कोई बात तो है
मुझे आज तक जो भी मिला,मशक्कत से मिला
तुझ से मिलने में मेरी तकदीर का कुछ हाथ तो है
अंधेरे कहां समझते हैं भला मशाल के जलने का दर्द
वजह कोई भी हो हर सूरत में दोनों की मात तो है
डूबने वाले के लिये फ़र्क नहीं मंझधार और किनारे में
बेबसी का सबब जिन्दगी के उलझे हुये हालात ही तो हैं
गम कुछ कम नहीं हुए तुझसे मिलने के बाद मगर
दिल में इक हौंसला सा है कि कोई मेरे साथ तो है

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