Thursday, November 25, 2010

न जानूँ कि कौन हूँ मैं

मै न जानूँ कि कौन हूँ मैं
लोग कहते हैं सबसे जुदा हूँ मैं
मैंने तो प्यार सबसे किया
पर न जाने कितनों ने धोखा दिया।
चलते-चलते कितने ही अच्छे मिले,
जिनको बहुत प्यार दिया,
पर कुछ लोग समझ ना सके,
फिर भी मैंने सबसे प्यार किया।
दोस्तों की खुशी से ही खुशी है,
तेरे गम से हम दुखी है,
तुम हँसो तो खुश हो जाऊँगा।
तेरी आँखों में आँसू हो तो मनाऊँगा।
मेरे सपने बहुत बड़े है
पर अकेले है हम, अकेले है,
फिर भी चलता रहूँगा
मंज़िल को पाकर रहूँगा।
ये दुनिया बदल जाए कितनी भी,
पर मैं न बदलूँगा,
जो बदल गए वो दोस्त थे मेरे
पर कोई न पास है मेरे।
प्यार होता तो क्या बात होती
कोई न कोई तो होगी कहीं न कहीं
शायद तुम से अच्छी या
कोई नहीं इस दुनिया में तुम्हारे जैसी।
आसमान को देखा है मैंने, मुझे जाना वहाँ है
ज़मीन पर चलना नहीं, मुझे जाना वहाँ है,
पता है गिरकर टूट जाऊँगा, फिर उठने का विश्वास है
मैं अलग बनकर दिखाऊँगा।
पता नहीं ये रास्ते ले जाएँ कहाँ,
न जाने ख़त्म हो जाएँ, किस पल कहाँ,
फिर भी तुम सब के दिलों में ज़िंदा रहूँगा,
यादों में सब की, याद आता रहूँगा।

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