आज मानव का सुनहला प्रात है,
आज विस्मृत का मृदुल आघात है;
आज अलसित और मादकता-भरे,
सुखद सपनों से शिथिल यह गात है;
मानिनी हँसकर हृदय को खोल दो,
आज तो तुम प्यार से कुछ बोल दो ।
आज सौरभ में भरा उच्छ्वास है,
आज कम्पित-भ्रमित-सा बातास है;
आज शतदल पर मुदित सा झूलता,
कर रहा अठखेलियाँ हिमहास है;
लाज की सीमा प्रिये, तुम तोड दो
आज मिल लो, मान करना छोड दो ।
आज मधुकर कर रहा मधुपान है,
आज कलिका दे रही रसदान है;
आज बौरों पर विकल बौरी हुई,
कोकिला करती प्रणय का गान है;
यह हृदय की भेंट है, स्वीकार हो
आज यौवन का सुमुखि, अभिसार हो ।
आज नयनों में भरा उत्साह है,
आज उर में एक पुलकित चाह है;
आज श्चासों में उमड़कर बह रहा,
प्रेम का स्वच्छन्द मुक्त प्रवाह है;
डूब जायें देवि, हम-तुम एक हो
आज मनसिज का प्रथम अभिषेक हो ।
एक डोली और एक अर्थी आपस में टकरा गए इन्हें देख लोग घबरा गये ऊपर से आवाज़ आई ये कैसी बिदाई है लोगो ने कहा महबूब की डोली देखने यार की अर्थी आई है
Wednesday, November 24, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Followers
kavitaye
-
►
2009
(1)
- ► 12/27 - 01/03 (1)
-
▼
2010
(89)
- ► 09/12 - 09/19 (30)
-
▼
11/21 - 11/28
(55)
- मैं अकेला; देखता हूँ, आ रही मेरे दिवस की सा...
- आज मानव का सुनहला प्रात है
- पर्वत-सी पीर
- कहते हैं, तारे गाते हैं
- अपाहिज व्यथा
- तुम तूफान समझ पाओगे ?
- बस इतना--अब चलना होगा
- मैं प्रिय पहचानी नहीं
- बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं
- पर्वत-सी पीर
- कहते हैं, तारे गाते हैं
- अपाहिज व्यथा
- "Agar Dola Khabhi..." bahut hi pyari kavita hai Dh...
- ‘हर ज़ुल्म
- अपनेपन का मतवाला’
- आंशु भर आते है
- उजड़े हुए चमन
- एक रात
- उसने जो चाहा था मुझे इस ख़ामुशी के बीच मुझको किनार...
- कोई आँसू बहाता है कोई आँसू बहाता है
- ख्व़ाहिशों की भीड़ में
- गम कुछ कम नहीं’
- चाँद पूनम का
- चाँदनी को क्या हुआ
- जब जानता जग जाती हैं’
- ज़िंदगी
- जीवन
- जो पत्थर
- तेरा हँसना’
- दिल की सदा
- दिल में गुबार
- हम तेरे हो गए
- दोस्त का प्यार चाहिए’
- दोस्त का प्यार चाहिए’
- हम तेरे हो गए
- न जानूँ कि कौन हूँ मैं
- सोचते ही सोचते
- नदिया- नदिया’
- नहीं करना’
- हम तुम्हारे अब भी
- साथ तुम्हारा कितना
- पहचान
- वो मेरा ही काम करेंगे
- बड़ी मुश्किल सी कोई’
- वो जाने कहाँ हैं
- मुझे पिला के
- लहू से ♥ पे
- ये दुनिया.
- मुद्दत के बाद
- मेरे लिए’
- मुद्दत के बाद
- ये ख़ास दिन
- यादों ने आज’
- ‘याद बहुत आता है
- याद की बरसातों में’
- ► 11/28 - 12/05 (1)
- ► 12/12 - 12/19 (1)
- ► 12/26 - 01/02 (2)
-
►
2011
(14)
- ► 01/30 - 02/06 (1)
- ► 02/06 - 02/13 (1)
- ► 02/13 - 02/20 (2)
- ► 03/06 - 03/13 (1)
- ► 03/20 - 03/27 (4)
- ► 07/17 - 07/24 (1)
- ► 10/16 - 10/23 (1)
- ► 12/25 - 01/01 (3)
-
►
2012
(7)
- ► 02/05 - 02/12 (1)
- ► 02/12 - 02/19 (1)
- ► 03/11 - 03/18 (1)
- ► 04/01 - 04/08 (1)
- ► 07/22 - 07/29 (1)
- ► 12/02 - 12/09 (2)
-
►
2013
(3)
- ► 02/10 - 02/17 (1)
- ► 12/29 - 01/05 (2)
Feedjit
Blog: |
मेरी कविताओं का संग्रह |
Topics: |
1 comment:
सुंदर कविता प्रिय का मनुहार करती हुई ।
Post a Comment