जब भी होता है तेरा जिक्र कहीं बातों में
लगे जुगनू से चमकते हैं सियाह रातों में
लगे जुगनू से चमकते हैं सियाह रातों में
खूब हालात के सूरज ने तपाया मुझको
चैन पाया है तेरी याद की बरसातों में
चैन पाया है तेरी याद की बरसातों में
रूबरू होके हक़ीक़त से मिलाओ आँखें
खो ना जाना कहीं जज़्बात की बारातों में
खो ना जाना कहीं जज़्बात की बारातों में
झूठ के सर पे कभी ताज सजाकर देखो
सच ओ ईमान को पाओगे हवालातों में
सच ओ ईमान को पाओगे हवालातों में
आज के दौर के इंसान की तारीफ़ करो
जो जिया करता है बिगड़े हुए हालातों में
जो जिया करता है बिगड़े हुए हालातों में
आप दुश्मन क्यों तलाशें कहीं बाहर जाकर
सारे मौजूद जब अपने ही रिश्ते नातों में
सारे मौजूद जब अपने ही रिश्ते नातों में
सबसे दिलचस्प घड़ी पहले मिलन की होती
फिर तो दोहराव है बाकी की मुलाक़ातों में
फिर तो दोहराव है बाकी की मुलाक़ातों में
गीत भँवरों के सुनो किससे कहूँ मैं नीरज
जिसको देखूँ वो है मशगूल बही खातों में
जिसको देखूँ वो है मशगूल बही खातों में
6 comments:
बहुत उम्दा प्रस्तुति.
शुक्रिया. जारी रहें.
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कुछ ग़मों के दीये
खूब हालात के सूरज ने तपाया मुझको
चैन पाया है तेरी याद की बरसातों में
रूबरू होके हक़ीक़त से मिलाओ आँखें
खो ना जाना कहीं जज़्बात की बारातों में
बहुत सुंदर हर पंक्ति लाजवाब
http://veenakesur.blogspot.com/
बहुत उम्दा प्रस्तुति.शुभकामनाएं !
लेखन के मार्फ़त नव सृजन के लिये बढ़ाई और शुभकामनाएँ!
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आलेख-"संगठित जनता की एकजुट ताकत
के आगे झुकना सत्ता की मजबूरी!"
का अंश.........."या तो हम अत्याचारियों के जुल्म और मनमानी को सहते रहें या समाज के सभी अच्छे, सच्चे, देशभक्त, ईमानदार और न्यायप्रिय-सरकारी कर्मचारी, अफसर तथा आम लोग एकजुट होकर एक-दूसरे की ढाल बन जायें।"
पूरा पढ़ने के लिए :-
http://baasvoice.blogspot.com/2010/11/blog-post_29.html
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kamai zindagi bhar ki,usi k naam to kar di,
mujhe kuch aur karna tha,mujhe kuch aur kehna tha.
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